पत्रिका´ सब सूं न्यारी छ
मायड़ ममता सूं ज्यो प्यारी,
राजस्थान पत्रिका हारी,
खबरां बांचै लोग हजारी,
या की साख निराळी छ,
पत्रिका´ सब सूं न्यारी छ।
बरसां पैली पांव जमाया,
जाणै कतरा दुज्ख बिसराया,
पण वे कदै नहीं घबराया,
बाबो´ हिमत राखी छ,
पत्रिका´ सब सूं न्यारी छ।
पाठक मांई पैठ जमाई,
राखी सदां संग सच्चाई,
जनता री आवाज उठाई,
कलम कूं धार बनाई छ,
पत्रिका´ सब सूं न्यारी छ।
काम संग नाम घणो कमायो,
मिलजुल या परिवार बढ़ायो,
दुनिया म परचम लहरायो,
जग म कीरती पाई छ,
पत्रिका´ सब सूं न्यारी छ।
ओमप्रकाश नापित ´उदय´
Saturday, June 13, 2009
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कुण वां की छै, कुण थां की छै,
ReplyDeleteसब कुछ थांकी-म्हाँकी छै...
कांई छै जानू, छा रया छो...
थांको अंडै ब्लॉगां मांय भैलकम छै...