Saturday, June 13, 2009

patrika

पत्रिका´ सब सूं न्यारी छ

मायड़ ममता सूं ज्यो प्यारी,
राजस्थान पत्रिका हारी,
खबरां बांचै लोग हजारी,
या की साख निराळी छ,
पत्रिका´ सब सूं न्यारी छ।

बरसां पैली पांव जमाया,
जाणै कतरा दुज्ख बिसराया,
पण वे कदै नहीं घबराया,
बाबो´ हिमत राखी छ,
पत्रिका´ सब सूं न्यारी छ।

पाठक मांई पैठ जमाई,
राखी सदां संग सच्चाई,
जनता री आवाज उठाई,
कलम कूं धार बनाई छ,
पत्रिका´ सब सूं न्यारी छ।

काम संग नाम घणो कमायो,
मिलजुल या परिवार बढ़ायो,
दुनिया म परचम लहरायो,
जग म कीरती पाई छ,
पत्रिका´ सब सूं न्यारी छ।

ओमप्रकाश नापित ´उदय´

1 comment:

  1. कुण वां की छै, कुण थां की छै,
    सब कुछ थांकी-म्हाँकी छै...

    कांई छै जानू, छा रया छो...
    थांको अंडै ब्लॉगां मांय भैलकम छै...

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