Monday, June 8, 2009

गजबण नार


बात करे तो बोल सुहाणा
चंचल नैन कटार,
कर सोल़ा सिणगार
चाली देखो गजबण नार।
सिर माथे बोरलो सुहावै,
नाक नथणिया हिलती जावै,
पैर धरै तो टणका बाजै
हिवड़ा दमके हार।
कर सोल़ा सिणगार,
चाली देखो गजबण नार।
गजभर घूंघट, माथे पर लट,
सिर पर धर घट, चाली पनघट,
भरे बेवड़ो चहक चहक कर
चुड़ला करै पुकार।
कर सोल़ा सिणगार,
चाली देखो गजबण नार।

लेय बिलौणी छाछ हिलावै,
बछिया बाड़ा माय रहावै,
दूध दुहै तो अंगुल्या मटकै
कलछा माही धार।
कर सोल़ा सिणगार,
चाली देखो गजबण नार।
ओमप्रकाश नापित ´उदय´

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